Monday 2 May 2016

ओड-इवन और धर्म निरपेक्षता

भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है, ऐसा संविधान कहता है, कई नेता तो हर दिन, सुबह से शाम तक यही राग आलापते है.
धर्म निरपेक्षता के मायने क्या हैं? हम लम्बी-चौड़ी बहस में नहीं पड़ेंगे, बस इतना कह देना उपयुक्त होगा कि  जिस देश में धर्म या धार्मिक लोग राज्य कि नीतियों को प्रभावित नहीं करते और जहाँ सब लोगों पर एक प्रकार के कानून लगाए जाते हैं  वह  देश धर्म-निरपेक्ष माना जाता है. संविधान में लिखा हो या न लिखा हो, सरकार की नीतियाँ और सरकार द्वारा बनाए गए कानून ही तय कर ते हैं कि किसी देश को धर्म-निरपेक्ष समझा जाये या नहीं.
अब हमारे देश की तो स्थिति ही निराली है. यहाँ न कानून सब के लिए एक  सामान है, न नीतियाँ. जातिवाद और आरक्षण का अलग झमेला है. धार्मिक स्थलों को लेकर अलग राजनीति चलती ही रहती है, सड़क के बीच में भी लोग धार्मिक स्थल बना सकते हैं या धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं. दंगों की तो बात ही निराली है, दंगे कहाँ हुए, वहां किस पार्टी की सरकार थी/है, किस धर्म के लोग मारे गए, इन सब बातों से तय होता ही कि दंगे साम्प्रदायिक थे या नहीं.
ऐसे में दिल्ली सरकार की ‘ओड और इवन’ की नीति एक ऐसी नीति है जो पुरी तरह धर्म निरपेक्ष है, यह एक  इकलौती नीति है जो हर धर्म के लोगों पर समान रूप से लागू की जाती है, मंगलवार को भी लागू होती है और शुक्रवार को भी, इसे लागू करते समय अमीर-गरीब में भेद नहीं किया जाता, और सबसे बड़ी बात है कि किसी प्रकार कोई आरक्षण भी नहीं है. और तो और, वी आई पी लोग भी इसकी मार से नहीं बच पाए.
हो सकता है कि चुनाव के निकट आने पर सरकार को आरक्षण प्रदान करना पड़े, या फिर वी आई पी लोगों को थोड़ी सुविधा देनी पड़े या अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को थोड़ी-बहुत छूट देनी पड़े, पर आज के समय में यह एक ऐसी ऐतिहासिक नीति है जो हर मायने में पूरी तरह धर्म-निरपेक्ष है. देश की सब सरकारें अगर ऐसी ही नीतियाँ बनाने लगे तो हम सच में एक दिन पूरी तरह धर्म निरपेक्ष राज्य बन सकते है.


2 comments:

  1. The intention may be noble.But the Govt must seriously assess its effectiveness vis-vis the hardships as also initiate action to tackle other major causes of pollution.

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