Saturday 14 October 2017

मर गया क्या?

‘वो देख, एक बाइक उल्ट गयी....’
‘यह तो गया....’
‘मर गया क्या....’
‘लगता है....’
‘नहीं, मरा नहीं हैं,  घायल हुआ है....’
‘ऐसे कोई बस को ओवर-टेक करता है....’
गलती उसकी नहीं है. बस तो रुकी हुई थी. वह तो राईट साइड से ही आगे जा रहा था....’
‘ड्राईवर ने बस को एकदम राईट की ओर मोड़ दिया था....’
‘चले देखें....’
‘ज़्यादा चोट आई नहीं लगती....’
‘लगता है बाइक को ही नुक्सान हुआ है....’
‘अपनी बस आने वाली है. पहले ही बहुत लेट हो चुके हैं....’
‘कोई पुलिस को ही फोन कर दो...’
‘हिल-डुल रहा है....’
‘कुछ करना चाहिए....’
‘वहां भी एक-दो लोग खड़े हैं....’
‘वह तो बस फोटो ले रहे हैं....’
‘बस वाले बड़ी वाहियात ड्राइविंग करते हैं....’
‘हर दिन बीस-पचीस लोग इन बसों की चपेट में आ जाते हैं....’
‘हिल रहा है, ठीक ही होगा....’
‘पर अगर वह जल्दी ही एक ओर न हुआ तो आती-जाती कोई गाड़ी उसे रौंद डालेगी.....’
जो लोग यह संवाद बोले रहे थे वह सब एक बस-स्टॉप के निकट खड़े थे.
कुछ पल पहले ही, स्टॉप से थोड़ी दूर, एक बस आकर रुकी थी. सवारियां बस पर चढ़ने-उतरने लगीं थीं. उसी समय एक लड़का अपनी बाइक पर सवार, रूकी हुई बस की दायीं ओर से, बस को ओवर-टेक कर, आगे जाने लगा था. अचानक बस चल पड़ी थी.
बस के चलते ही ड्राईवर ने बस को तेज़ी से दायीं और घुमा दिया था. बस का पिछला भाग बाइक सवार से जा टकराया था. बाइक उल्ट गयी थी. बस-ड्राईवर ने रुक कर उस लड़के को देखना भी आवश्यक न समझा था.
स्टॉप पर खड़े कई लोगों ने यह दृश्य देखा था और देखते ही अपनी-अपनी भावनाएं और विचार व्यक्त करने लगे थे.
‘अरे-अरे, यह क्या हो गया....’
‘अब तो गया....’
‘हाँ, अब नहीं बच सकता....’
‘खत्म हो गया....’
‘ट्रक का टायर उसके सर के ऊपर से गुज़र गया था...’
‘सर कुचला गया....’
‘भयंकर....’
‘ट्रक तो सौ की स्पीड पर होगा....’

स्टॉप पर खड़े लोग तन्मयता से अपने-अपने विचार व्यक्त कर रह थे कि एक ट्रक तेज़ी से आया और सड़क पर गिरे युवक को रौंदता हुआ आगे बढ़ गया.

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